Delhi news:अंतर्राष्ट्रीय लोक गायक डॉ.मन्नू यादव के 52 प्रकार के लोकगीतों की प्रस्तुति ने मन मोहा

नई दिल्ली। नई धारा भाखा में लोक संगीत संध्या में दिनांक 28 मार्च को वाराणसी से आमं आमंत्रित अंतर्राष्ट्रीय बिरहा गायक डॉ०मन्नू यादव और साथियों ने एक यादगार प्रस्तुति दी। सबसे पहले काशी वर्णन में उन्होंने-मनवां मोहे बाबा विश्ववाथ की न्यारी नगरी,से समां बांधी,सुत्र धार कार्तिकेय ने जब बिरहा प्रस्तुति का संदेश दिया,डॉ० यादव और सथियों ने कलाधर लालिमा छन्द से प्रबुद्ध वर्ग और रसिक जनों को झूमा दिया,इसके पश्चात उन्होंने कलाधर की पहचान और मात्राओं की गणना करना भी बताया जिससे न केवल गायन बल्कि व्याख्यान में बौद्धिकता प्रमाणित हुई,और पूरा पंण्डाल तालियों से गड़गड़ाने लगा,इसके बाद, प्रकृति वर्णन के रूप में पूरबी गीत की प्रस्तुति दी जिसमें तुकों और देशज शब्दों ने श्रोताओं  को खूब रिझाया। अपने रशना गहन छन्दों के लिये प्रसिद्ध गायक ने जीभ पकड़ कर प्रस्तुति किया जिसका लोगों ने जोरदार तालियों से स्वागत किया,और गीत को रिकार्ड करने के लिए सभी लोगों ने मोबइल उठा लिए, सभी ने कहा ऐसा गीत मैं पहली बार सुन रहा हूं,बिना जीभ के कोई बोल नहीं सकता ये गा कैसे पा रहे हैं। इस गीत ने सबको आश्चर्यचकित किया। इसके बाद काशी की चिर परिचित बोल खेलैं मशाने में होली दिगम्बर खेलैं,मशाने में होली,सुनते ही श्रोता नाचने लगे और लोकसंगीत परवान चढ़ गया,जैसे लगा की बनारस की मस्ती आज सी-डी देशमुख आडोटोरियम में उतर आई है। तत्पश्चात चइता की प्रस्तुति हुई और पूरा सी डी देशमुख आडिटोरियम चइता के उतार-चढाव के भाव में तल्लीन होने लगा। मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के जन्म की कहानी ईमलतास फूलों पर भंवरों का मड़राना, रामनवमी की खुशी में आंगन की गोबर से लिपाई,जैसे मार्ग स्पर्शी भाव श्री राम के जन्म की कहानी प्रारंभ हुई इसके बाद सूत्रधार ने यह उद्घघोष किया कि श्री यादव वाराणसी में रहते हैं लेकिन चुनार के मूल निवासी हैं जो मिर्जापुर जनपद से आते हैं, मिर्जापुर कजरी सुनाएं यह इशारा पाते ही डॉ यादव ने मिर्जापुर और वाराणसी के कजरी के अखाड़ों पर व्याख्यान दिया जिसमें अखाड़ों की कजरी,ढुनमुनिया कजरी,शायरी कजरी और काज्जल देवी मां विंध्यवासिनी के स्वरूप पर बेहतरीन व्याख्यान दिया श्रोताओं ने जोरदार तालियों से स्वागत की। पंडित मदन मोहन मालवीय बफ्फत खलीफा की कजरियों को बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में एक दिन आयोजित कर के सुनते थे ऐसा सुनते ही लोगों ने तालियों से समर्थन किया इसके बाद उन्होंने कजरी की प्रस्तुति की सखी श्याम बिनू सोहै ना सवनवां ना हरे रामा, हरे श्याम की टेर समाप्त होते ही अब बारी आई खांटी वीर रस के गीत खड़ी बिरहा,लोरिकी,चंदैनी की जो इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में लोरिकी जैसी लुप्त हो रही विद्या पहली बार सुनी गई। नारी शक्ति, पशुधन की रक्षा,अत्याचारी राजा मौलागीत का वध करके मंजरी के मांग में सिंदूरदान कर तलवार से पत्थर को तीन टुकड़े में करने की कहानी और "यत्र नारयस्तु पूज्यन्ते रमंते तत्र देवता" की मान्यता को मानकर लगभग आधा दर्जन बोली भाषाओं में वीर लोरिक आज क्यों जीवित हैं,जीवंत हैं, इस व्याख्यान पर भी बौद्धिक जनों ने गायक के व्याख्यान का हौसला बढ़ाया, कार्यक्रम के लगभग पौने दो घंटे हो चुके थे लेकिन एक और एक और की मांग चल रही थी तत्पश्चात सूत्रधार ने डॉ यादव की टीम पर छोड़ दिया कि आप जो करना चाहे कीजिए होरी,फाग, कबीरा,जोगीरा,कजरी और आल्हा की मांग होने लगी,जय शिव शंकर जय त्रिपुरारी,आल्हा ऊदल डेभा तिवारी,का वर्णन आल्हा के रूप में हुआ और गोरी झूल गई झुलुआ हजार में सावन के बाहर में ना,कजरी की बोल पर लोग थिरकते देखे गए, अंत में कबीरा जोगीरा कबीर रंग बरसे फगुनवा सारा रा रा,श्रोताओं ने पहली बार इतने सधे अंदाज में किसी लोक कलाकार को सुनकर सराहना करने लगे अब कार्यक्रम की आखिरी बेला थी इस पर डॉ मन्नू यादव ने वहां उपस्थित बिरहा पर शोध कार्य करने वाली विद्वान लेखिका डॉ शशी प्रभा तिवारी, आईसीसी के अध्यक्ष एन के श्रीवास्तव कार्यक्रम अधिकारी शुभ्रा टंडन नई धारा की ऑनलाइन एडिटिंग मैनेजर आरती जैन इंजीनियर विवेक कुमार यादव शोधकर्ताओं में मीमांसा,अदिति, निष्ठा,श्रवण,आदित्य,जामिया मिलिया इस्लामिया दिल्ली विश्वविद्यालय तथा जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्र प्रोफेसर गण की उपस्थिति रही। डॉ मन्नू यादव के साथ संगतकारों ने बखूबी साथ निभाया जिसमें झांझ पर चंचल यादव, मंजीरा पर बुधयी संदल,हारमोनियम पर बिजेंद्र कुमार,ढोलक पर लालबहादुर तथा करताल पर अरविंद सिंह ने जोरदार प्रदर्शन किया,डॉ यादव सहित सभी का आईसीसी के चेयरमैन ने पुष्पगुच्छ से स्वागत किया,तथा आरती जैन ने सभी का आभार जताया।

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