सिंगरौली।मध्यप्रदेश में मजदूरों के काफी धरने प्रदर्शनों के बाद सरकार ने 10 वर्ष बाद वेतन पुनरीक्षण समिति की सिफारिश के आधार पर मध्य प्रदेश शासन ने न्यूनतम वेतन की घोषणा की थी। जबकि यह पुनरीक्षण नवंबर 2014 मे होना था। इसके बावजूद कारखाना मालिकों ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ में न्यूनतम वेतन बढ़ाये न जाने की याचिका पेश की,और हाई कोर्ट ने राज्य सरकार के आदेश पर स्थगन आदेश जारी कर दिया।एक माह बाद प्रदेश के लाखों मजदूरों का बढ़ा हुआ वेतन काम कर दिया गया। इसपर सीटू ने उच्च न्यायालय में इंटरवीनर हस्तक्षेपकर्ता बन हस्तक्षेप किया। सीटू के प्रदेश अध्यक्ष रामविलास गोस्वामी और प्रदेश महासचिव प्रमोद प्रधान द्वारा ने कहा है की उक्त स्थगन के खिलाफ सीटू ने अदालती हस्तक्षेप के साथ पूरे प्रदेश भर में सरकार पर दबाव पैदा करने के लिए लगातार प्रदेश के जिलाधीश और श्रम विभाग के ऑफिसों पर धरने दिए। इंदौर हाई कोर्ट में सीटू के ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता बाबूलाल नागर ने न्यूनतम वेतन के सवाल पर मजदूरों का पक्ष बखूबी रखा। हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ के खंडपीठ ने उक्त स्थगन को खारिज कर दिया। यह मजदूरों की एक ऐतिहासिक जीत है। सीटू नेता रामविलास गोस्वामी और प्रमोद प्रधान ने मध्य प्रदेश की सरकार और मध्य प्रदेश के श्रम आयुक्त से मांग करते हुए कहा कि यह स्थगन एक अप्रैल से हो रहे भुगतान के खिलाफ था जो खारिज हो गया है।श्रमिकों का एरियर सहित भुगतान सुनिश्चित कराया जाए। सीटू ने प्रदेश के आम मजदूर और कर्मचारियों से एकता बनाए रखने की अपील की है वही सिंगरौली के सीटू के प्रतिनिधि जिला महामंत्री सिंगरौली सीटूअशोक कुमार धारी, जिलाअध्यक्ष पीएस पांडे,वासुदेव सिंह,केसी शर्मा,आनंद सिंह,इरशाद खान राजेश सिंह ने अपनी खुशी जाहिर किया।
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