सोनभद्र। नगर पंचायत अनपरा के औडी दुराशनी मंदिर पर एतिहासिक रामलीला मंचन पूरे ऊर्जांचल में मशहूर इस लिए है कि इस रामलीला मंचन में जो भी पात्र हैं वह स्थानीय कलाकार हैं। आज रामलीला में भगवान श्रीराम के सेना के साथ समुद्र तट पर पहुंचकर और समुद्र पार कर लंका जाने के लिए समुद्र देव की पूजा कर सेतु बांधने का मंचन किया गया। इस दौरान श्री विष्णु रामलीला समिति एंड नाट्य कला परिषद के कलाकारों ने शानदार अभिनय और अंगद- रावण संवाद का मंचन देख दर्शकों का मन मोह लिया।
रंगमंच के संचालक दशा राम यादव और व्यास पंडित रामरक्षा जी ने बताया कि भगवान राम ने समुद्र तट पर पहुंचकर समुद्र देव से प्रार्थना करते हुए समुद्र पार करने के लिए रास्ता मांगा,कितु समुद्र देव ने असमर्थता जताते हुए कहा कि ऐसा करने से उनकी मर्यादा खत्म हो जाएगी।लेकिन आपकी सेना में नल और नील नाम के वानर हैं,जिन्हें ऋषि का वरदान प्राप्त है कि उनके हाथ से समुद्र में छोड़ा गया पत्थर डूबेगा नहीं। इसके बाद भगवान राम की वानर सेना ने लंका तक पहुंचने के लिए रामेश्वरम से पुल के निर्माण का कार्य शुरू कर दिया। इसे राम सेतु का नाम दिया गया। बताया कि सेतु बांध के लिए नल और नील जो पत्थर समुद्र में फेंकते थे,उनपर श्रीराम लिखने से वह डूबते नहीं थे। बताया कि पुल निर्माण के बाद राम ने अंगद को दूत बनाकर रावण के पास भेजा, लेकिन रावण कुछ भी मानने को तैयार नहीं होता। अंगद को दूत बनाकर रावण के पास भेजा पुल निर्माण के बाद राम ने अंगद को दूत बनाकर रावण के पास भेजा लेकिन रावण कुछ भी मानने को तैयार नहीं होता है। अंगद भरी सभा में रावण काे चेतावनी देता है कि श्रीराम की शरण में चले जाओ, उद्धार हो जाएगा लेकिन वह नहीं मानता है और अपनी सेना से कहते है कि अंगद को लंका से बाहर का रास्ता दिखा दो। अंगद सभा में कहते हैं कि अगर आपके योद्धाओं ने मेरा पैर जमीन से हिला दिया तो मैं हार मानकर वापस लौट जाऊंगा, लेकिन रावण के वीर योद्धा ऐसा नहीं कर पाते हैं। इस दौरान विष्णु रामलीला समिति एंड नाट्य कला परिषद के पदाधिकारी केवला प्रसाद,महेंद्र यादव,राजकुमार,श्री रामा सोनी,हरी राम वैश्य सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति एवं सैकड़ों की संख्या में रामलीला दर्शक उपस्थित रहे।