अभियोजन पक्ष के मुताबिक 29 मई 2012 को वीरेंद्र कुमार यादव, चौकी प्रभारी डाला को मुखबिर खास के जरिए यह सूचना मिली कि छिकड़ा के जंगल में कुछ नक्सली अपराधियों की चहल कदमी देखी गई है। जो किसी गंभीर अपराध को अंजाम देने की फिराक में हैं। इतना ही नहीं उनके साथ अन्य प्रांतों के नक्सली संगठन के लोग आकर बैठक कर रहे हैं। इसकी सूचना तत्कालीन पुलिस अधीक्षक सुभाष चंद्र दुबे को दी गई तो उन्होंने चोपन थाना पर हमाराहियों के साथ पहुंचने का निर्देश दिया। जिसके अनुपालन में हमराहियों के साथ चोपन थाने पर रात 11:30 बजे पहुंच गया। उसी समय तत्कालीन सीओ पिपरी प्रमोद कुमार यादव,शक्तिनगर थानाध्यक्ष पंकज कुमार यादव,कोन थानाध्यक्ष शिवानंद मिश्रा अपने अपने हमराहियों के साथ चोपन थाने पहुंच गए।
थोड़ी ही देर बाद पुलिस अधीक्षक सुभाष चन्द्र दुबे भी फोर्स के साथ चोपन थाने पहुंच गए। पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर एसओजी और सीआरपीएफ फोर्स को मौके पर बुलाया गया। चोपन थाने पर ही तीन टीम बनाई गई। पहली टीम का नेतृत्व एसपी सुभाष चंद्र दुबे खुद कर रहे थे, दूसरी टीम का नेतृत्व सीओ पिपरी प्रमोद कुमार यादव और तीसरी टीम का नेतृत्व सीआरपीएफ के डिप्टी कमांडेंट पवन कुमार उपाध्याय कर रहे थे। सभी लोग असलहों से लैस होकर बुलेट प्रूफ जैकेट और अन्य सामग्रियों के साथ छिकड़ा जंगल की तरफ बढ़े तो कुछ दूरी पर हल्की पिली रोशनी दिखाई दी।
जब टीम रोशनी की ओर बढ़ने लगी तो 6- 7 लोग असलहे के साथ बैठे हुए दिखाई दिए। जब एसपी साहब ने लाउड स्पीकर से नकालियों को आत्मसमर्पण करने को कहा तो नक्सलियों ने पुलिस बल के ऊपर अंधाधुंध फायर करने लगे। अपना बचाव करते हुए पुलिस बल ने भी फायरिंग शुरू कर दी। एक नक्सली को मैगजीन अनलोड करते समय पुलिस बल ने पकड़ लिया । शेष नक्सली भागने में सफल हो गए। पूछताछ में पकड़े गए नक्सली ने अपना नाम पता लालव्रत कोल उर्फ कमलजी पुत्र बचाऊ कोल निवासी मझिगवां, थाना नौगढ़, जिला चंदौली बताया। तलाशी करने पर उसके कब्जे से एक करबाइन,एक राइफल और 20 जिंदा कारतूस बरामद हुआ। बुलेट प्रूफ जैकेट पर दो फायर लगा था।
एसपी सुभाष चंद्र दुबे, सीओ प्रमोद कुमार यादव, चार दरोगाओ समेत नौ पुलिस वालों को चोटें आई थी। इस तहरीर पर पुलिस ने एफआईआर दर्ज किया। मामले की विवेचना करते हुए विवेचक ने पर्याप्त सबूत मिलने पर कोर्ट में चार्जशीट दाखिल किया था। मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं के तर्कों को सुनने, गवाहों के बयान व पत्रावली का अवलोकन करने पर दोषसिद्ध पाकर दोषी नक्सली लालव्रत कोल को आजीवन कारावास व 30 हजार रूपये अर्थदंड की सजा सुनाई।
अर्थदंड न देने पर दो वर्ष की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। अभियोजन पक्ष की ओर से अपर जिला शासकीय अधिवक्ता विनोद कुमार पाठक और अभियुक्त की ओर से अधिवक्ता रोशन लाल यादव ने बहस की।