Lucknow। हाईकोर्ट के सन्निकट अयोध्या रोड के किनारे इस्माइलगंज के लोग महीनों से नारकीय जीवन जीने को मजबूर है। क्योंकि कुछ सालों पहले पड़ी पानी एवं सीवर की मुख्य लाइन एवं चैम्बर जल निगम द्वारा किए गए घटिया कार्य की वजह से जगह जगह सड़क सहित धस गए है। महीनों से लोगों के घरों में सीवर का गंदा पानी आए दिन उफना उफना कर भर रहा है। लोगों का जीना दूभर हो गया है। जिसको लेकर स्थानीय लोगों ने क्षेत्रीय जन प्रतिनिधियों के साथ ही शासन के उच्च अधिकारियों तक शिकायत की लेकिन हालात जस के तस है।
लखनऊ अयोध्या रोड से सटे इंदिरानगर वार्ड के इस्माइलगंज में पूर्व में किए गए जल निगम द्वारा सीवर एवं पानी की पाइप डाली गयी। इस दौरान जगह जगह चैंबर भी बनाए गए। इसके निर्माण में घटिया सामग्री का प्रयोग किया गया। इससे पेयजल की पाइपलाइन सड़क एवं चैंबर सड़क सहित क्षतिग्रस्त होकर जमीन में धँस गया है। वर्तमान में भी यह कार्य जलकल विभाग की निगरानी में हो रहा है। वहीं घरों में भरे सीवर के गंदे पानी को सिर्फ खानापूर्ति के लिए पंप द्वारा अयोध्या रोड स्थित नाले में फेंका जा रहा है।
आए दिन मोटर न चलने के कारण लोगों के घरों में सीवर का पानी उफना कर भर जाता है। साथ ही इस्माइलगंज का मुख्य संपर्क मार्ग काफी दिनों से बाधित है। स्थानीय निवासियों के आवागमन बाधित होने से काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। पूर्व पार्षद पी.एन. सिंह,व समाजसेवी डॉ.एन.बी.सिंह, ने संबंधित प्रकरण से जल निगम प्रबंध निदेशक, अपर मुख्य सचिव नगर विकास, विशेष सचिव नगर विकास, लखनऊ सांसद एवं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, नगर विकास मंत्री अरविंद कुमार शर्मा, वित्त एवं प्रभारी मंत्री सुरेश खन्ना , मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव, पूर्व महाप्रबंधक जलकल, महापौर लखनऊ तक को अवगत कराया था।
जनप्रतिनिधियों एवं शासन के अधिकारियों ने इस मामले को लेकर गंभीर रूख अख्तियार करते हुए तात्कालिक कार्यवाही के आदेश दिये थे। परंतु यह आदेश जलकल, सुएज नामक प्राइवेट कंपनी से लेकर जल निगम के अधिकारियों की हीलाहवाली से लंबित है। जिम्मेदार अधिकारियों की उदासीनता से नारकीय जीवन जी रहे स्थानीय लोगों में काफी आक्रोश है। स्थानीय निवासियों ने जिम्मेदार संबंधित अधिकारियों का घेराव करने का मन बना लिया है। वहीं भाजपा नेता शैलेंद्र सिंह डब्लू ,
मानिकचंद विश्वकर्मा, तुहीन चतुर्वेदी,समरेंद्र सिंह एडवोकेट का कहना है जल्द ही अगर समस्या का निस्तारण नहीं हुआ तो आंदोलन करने पर मजबूर होंगे।