सोनभद्र/अनपरा। युवा जायसवाल सेवा समिति डिबुलगंज की ओर से कुलदेवता भगवान सहस्त्रबाहू अर्जुन महाराज की जयंती आज रविवार को डिबूलगंज में समारोह पूवर्क मनाई गई। सहस्त्रबाहू महाराज की विधि विधान से पूजा अर्चना की गई। बाद में हुई गोष्ठी में जयसवाल समाज के लोगों से एकजुट होने का आह्वान किया गया। कार्यक्रम की शुरूआत वैदिक मंत्रोच्चार पूर्वक विधि विधान से भगवान सहस्त्रबाहू की पूजा और भव्य आरती उतारी गई। इसके बाद हुई गोष्ठी में जायसवाल समाज के वक्ताओं ने कहा कि हम उस वंश के वंशज हैं,जिसका इतिहास के पन्नों में नाम दर्ज है। कहा कि सहस्त्रबाहु अर्जुन जैसे वीर योद्धा ने रावण जैसे दुराचारी को अपने कंधे में दबाकर महीने तक कैद रखा था। कहा कि समाज को पुराने गौरव को पाने के लिए एकजुट होना होगा। जायसवाल युवा मंच के प्रदेश अध्यक्ष विकास जायसवाल ने कहा कि आज हमारा समाज आये दिन प्रगति के पथपर निरंतर बढ़ता जा रहा है। अब जरूरत है कि समाज का युवा वर्ग सामाजिक क्षेत्र में अपना योगदान दें और भगवान सहस्त्रबाहु जी की तरह राज करने हेतु राजनैतिक क्षेत्र में भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लें। संतोष जायसवाल,ओमप्रकाश जायसवाल,प्रदीप जायसवाल अपने संबोधन में कहा की वाल्मीकि रामायण में इनका वर्णन मिलता है। की प्राचीन काल में महिष्मती वर्तमान महेश्वर नगर के राजा कार्तवीर्य अर्जुन थे। उन्होंने भगवान विष्णु के अवतार दत्तात्रेय को प्रसन्न कर वरदान में उनसे एक हजार भुजाएं मांग ली। इससे उसका नाम सहस्त्रबाहु अर्जुन हो गया। एक बार रावण सहस्त्रबाहु अर्जुन को जीतने की इच्छा से उनके नगर गया। नर्मदा की जलधारा देखकर रावण ने वहां भगवान शिव का पूजन करने का विचार किया। जिस स्थान पर रावण पूजा कर रहा था,वहां से थोड़ी दूर सहस्त्रबाहु अर्जुन ने खेल ही खेल में अपनी हजार भुजाओं से नर्मदा का प्रवाह रोक दिए,जब रावण ने ये देखा तो उसने अपने सैनिकों को इसका कारण जानने के लिए भेजा। सैनिकों ने रावण को पूरी बात बताई। रावण ने सहस्त्रबाहु अर्जुन को युद्ध के लिए ललकारा। नर्मदा के तट पर ही रावण और सहस्त्रबाहु अर्जुन में भयंकर युद्ध हुआ। अंत में सहस्त्रबाहु अर्जुन ने रावण को बंदी बना लिए, जब यह बात रावण के पितामह दादा पुलस्त्य मुनि को पता चली तो वे सहस्त्रबाहु अर्जुन से रावण को छोडऩे के लिए निवेदन किया। सहस्त्रबाहु अर्जुन ने रावण को छोड़ दिया और उससे मित्रता कर ली। महाभारत के अनुसार,एक बार सहस्त्रबाहु अर्जुन अपनी सेना सहित जंगल से गुजर रहे थे,उस जंगल में ऋषि जमदग्नि का आश्रम था। सहस्त्रबाहु ऋषि जमदग्नि के आश्रम में थोड़ी देर आराम करने के लिए इच्छा से रूक गए। ऋषि जमदग्नि के पास कामधेनु गाय थी,जो सभी इच्छाएं पूरी करती थी। उसकी
सहायता से ऋषि जमदग्नि ने सहस्त्रबाहु और उसके सैनिकों का राजसी स्वागत किया। इस अवसर पर युवा मंच के प्रदेश अध्यक्ष विकास जायसवाल,युवा मंच उपाध्यक्ष ओम प्रकाश जायसवाल,युवा मंच महासचिव प्रदीप जायसवाल,युवा मंच प्रदेश सचिव अवधेश जायसवाल, बालेश्वर जायसवाल,जग नारायण जायसवाल,रमेश जयसवाल,संतोष जायसवाल,श्याम नारायण जायसवाल, अंकुश जायसवाल,अमित जायसवाल,
श्रवण जायसवाल,मुन्ना जायसवाल, सर्वजीत जायसवाल,संजीत जायसवाल, कपूर चंद जायसवाल,संतोष जायसवाल साहित सैकड़ो जायसवाल बंधु उपस्थित रहे हैं।