Dsandesh:114 यादव फौजियों ने लिखी थी रेजांगला की शौर्यगाथा,गोला बारूद खत्म होने पर नहीं छोड़ी रणभूमि

रेजांगला।भारत और चीन के बीच 1962 युद्ध में जम्मू कश्मीर के पूर्वी लद्दाख स्थित रेजांगला मे तेरस सौ चीनी सैनिकों को जवाबी कार्रवाई करते हुए 114 वीर अहिर सैनिक शहीद हुए थे। भारत मां की रक्षा के लिए आखिरकार लड़ते-लड़ते वीर अहिर सैनिकों ने वीरगति को प्राप्त किया।
बरसों पहले चीन द्वारा भारत पर किए गए आक्रमण से अपनी सरहदों की रक्षा करते हुए हमारे बहुत से जवानों ने शहादत दी थी। चीनी सेना 18 नवंबर 1962 को लेह-लद्दाख की दुर्लभ बर्फीली पहाड़ियों पर चढ़ आई थी,तब भारतीय सेना की रेजांगला-कंपनी के नाम से जानी जाने वाली चार्ली कंपनी के अहीरवाल जवानों ने डटकर मुकाबला किया था। उस दौर में भारतीय सैनिकों के पास खाने-पानी के अलावा गोला- बारूद की भी कमी थी, इसके बावजूद यादव सैनिकों ने रणभूमि नहीं छोड़ी और अपने बूटों के सहारे चीनी सैनिकों से लड़ते रहे।
चीन को दिया गया था मुंहतोड़ जवाब
लद्दाख की रेजांगला-पर्वत चोटी पर उस युद्ध में हमारे सैकड़ों जवानों की जान जा चुकी थी। उसके बाद चीन ने एकतरफा युद्ध विराम कर दिया था। युद्ध समाप्ति के 3 महीने बाद बर्फ पिघलने पर हमारे 114 यादव सैनिकों की लाशें मिलीं। तब वहां हमारे शहीद जवानों के हाथ में ग्रेनेड और टूटे हुए हथियार दिख रहे थे।

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