एनजीटी ने प्रदुषण, खस्ताहाल सडको सहित खुले मालवाहको से राख अभिवहन व लो लेयिंग एरिया के नाम पर कृषक व वन भूमियो पर राख भराव की अनुमति दिये जाने पर मांगा जवाब
सोनभद्र। अनपरा व सिंगरौली परिक्षेत्र की 30 किमी की परिधि मे जर्जर औडी-शक्तिनगर राज्य मार्ग व सिंगरौली-औडी-डिबुलगंज-रेनुकुट राष्ट्रीय राजमार्गो पर उनकी क्षमता से अधिक खुले मालवाहको से कोयला व राख के अभिवहन का भारी दबाव व केन्द्रीय प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा राख अभिवहन हेतु वर्ष 2013 मे बनाई गयी गाईडलाईन व लो लेयिंग एरिया मे राख भराव हेतु वर्ष 2019 मे बनाई गाईड लाईन के विपरीत खुले मालवाहको पर तिरपाल बांधकर कृषक भूमियो के आस पास व संरक्षित वन बनाये जाने हेतु प्रस्तावित भूमियो पर राख का भराव किये जाने के कारण व्याप्त जानलेवा प्रदुषण पर एनजीटी ने सामाजिक कार्यकर्ता पंकज मिश्रा की याचिका संख्याः-862/2013 पर दिनांकः-11 अक्टुबर, 2023 को सूनवाई के दरम्यान सख्ती दिखाई है।
सूनवाई के दरम्यान मामले मे याचिकाकर्ता पंकज मिश्रा ने एनजीटी के चैयरपर्सन के अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ के समक्ष वर्चुअल कांफ्रेसिंग के माध्यम से उपस्थित होकर अपना पक्ष रखते हुये कहा कि उत्तर प्रदेश के जनपद-सोनभद्र के अनपरा परिक्षेत्र व मध्य प्रदेश के सिंगरौली परिक्षेत्र मे अवस्थित ताप विद्युत गृहो से प्रतिदिन उत्सर्जित होने वाले राख व कोयला खदान परियोजनाओ से उत्पादित कोयला का उत्पादन, अभिवहन व खपत सब कुछ 30 किमी की परिधि मे हो रहा है जिसके कारण मुख्य मार्गो पर मालवाहको का सडक की क्षमता से सैकडो गुना ज्यादा दबाव है जिसके कारण एकतरफ सडके क्षतिग्रस्त हो रही है दुसरी ओर सीपीसीबी की राख अभिवहन हेतु वर्ष 2013 मे बनाई गयी गाईड लाई तथा लो लेयिंग एरिया मे राख भराव हेतु वर्ष 2019 मे बनाई गयी गाईडलाईन का उल्लंघन कर व निजी लाभ अर्जित करते हुये जिम्मेवारो द्वारा दी गई मौन सहमति पर खुले मालवाहको पर तिरपाल बांधकर राख का अभिवहन किया जा रहा है तथा लो लेयिंग एरिया के नाम पर कृषक भूमियो के आस पास, भारतीय वन अधिनियम-1927 की धारा-4 के तहत् संरक्षित वन बनाये जाने हेतु विज्ञापित भूमियो पर राख भराव किया जा रहा है जिससे मुख्य मार्ग सहित आस पास का पुरा वातावरण राख जनित जानलेवा प्रदुषण की चपेट मे है तथा खुले मालवाहको से अथवा निम्न गुणवत्ता की तिरपाल बांधकर कोयला अभिवहन ने इस व्याप्त प्रदुषण मे कई गुना इजाफा किया है साथ ही साथ एनजीटी द्वारा गठित समिति की अनुशंसा के अनुसार मुख्य मार्गो पर ट्रैफिक मैनेजमेन्ट प्लान तथा सडक सुरक्षा के प्रभावी उपाय नही किये जाने से सडक दुर्घटनाओ मे भी इजाफा हुआ है ओर रोज उर्जांचल की सडके खुनो से लाल हो रही है जिस पर एनजीटी के चैयरपर्सन के अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने गम्भीरता दिखाते हुये दिनांकः-11 अक्टुबर, 2023 को पारित आदेश मे केन्द्रीय प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड, मध्य प्रदेश व उत्तर प्रदेश सरकार तथा उनके राज्य प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड समेत डीएफओ सिंगरौली व सोनभद्र की सदस्यता वाली गठित समिति से 2 माह मे याचिकाकर्ता द्वारा उठाये गये बिन्दुओ पर जवाब तलब किया है तथा एनजीटी द्वारा पुर्व मे दिनांकः-10 मई, 2023 को पारित आदेश का उल्लंघन करने वाले औद्योगिक संस्थानो के विरुध्द आरोपित पर्यावरणीय क्षतिपुर्ति की वसुली की अद्यतन स्थिति तथा डाला क्षेत्र मे प्रदुषणकारी 313 स्टोन क्रशरो मे से सिर्फ 98 स्टोन क्रशरो को चिन्हित कर कारण बताओ नोटिस जारी किये जाने पर नाराजगी जताते हुये शेष क्रशरो समेत प्रदुषण कारक प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष खनन गतिविधियो के जिम्मेवारो पर कार्यवाही कर सीपीसीबी से रिपोर्ट तलब की है। उर्जांचल की लाईफलाईन औडी-शक्तिनगर राज्य मार्ग व सिंगरौली-रेनुकुट राष्ट्रीय राजमार्ग पर रोज दुर्घटनाओ मे अपनो को खो रहे लोगो सहित जानलेवा प्रदुषण की मार झेल रहे लोगो मे राहत पाने की खो चुकी उम्मीद एनजीटी की इस पहल से एक बार फिर जगी है दुसरी ओर एक बार फिर 9 वर्ष बाद उर्जांचल मे सडक दुर्घटना व प्रदुषण के मुद्दे पर बडे आन्दोलन की सुगबुगाहट शुरु हो गयी है।