सोनभद्र। खनिज संपदा और स्लेटी चट्टानों के साथ फासिल्स को लेकर दुनियां में चर्चित सोनभद्र में एक अरब 70 करोड़ वर्ष पुरानी ग्लोकोनेटिक पोटास युक्त पहाड़ी की खोज लखनऊ विश्व विद्यालय के प्रसिद्ध भू वैज्ञानिक प्रो विभूति राय और उनके शोध छात्रों ने खोज की है जो यह बताता है कि सोन नदी वाला पूरा क्षेत्र समुद्र था और उससे बनी शुक्ष्म धूल कड़ से चट्टानों और पहाड़ी का निर्माण एक अरब 70 करोड़ वर्ष पूर्व हुआ है।यह पहाड़ी सोन नदी किनारे नेवारी गांव के पास स्थित है जिसे जानकारी के अभाव में ग्रामीण और आम लोग नुकसान पहुंचा रहे है।तीन दिवसीय दौरे पर चोपन क्षेत्र में शोध और अध्ययन के लिए आए विश्व विद्यालय के प्रोफेसर और छात्रों ने दूसरे दिन नेवारी और एम पी सीमा क्षेत्र बरगवा तक का गहनता से पहाड़ियों और चट्टानों का अध्ययन किया। अध्ययनकर्ताओं को उस समय खुशी का ठिकाना नहीं रहा जब नेवारी की पहाड़ी की वैज्ञानिक जांच और अध्ययन किया तो पाया कि पोटास युक्त ये पहाड़ी की चट्टाने समुद्र के सिल्ट से निर्मित हुई है। प्रो. राय ने बताया कि यह क्षेत्र 30 हजार पूर्व भी समृद्ध था और यहां मनुष्य रहते थे। बताया की पत्थर के किट मिले है जो 20 से तीस हजार वर्ष पुराने है। अध्ययन के लिए पहुंची टीम की सदस्य अनुजा दिवेदी, ऋतु यादव,स्मृति पांडेय,रोशनी मिश्रा, जानवी शाह,सुनीता बृंदा आदि ने बताया की यह क्षेत्र अद्भुत है यहां और शोध की जरूरत है। साथ ही जो पहाड़ी है उन्हे सुरक्षित और संरक्षित करना होगा। जिससे अरबों वर्ष पुराने धरोहर बचे रहे।
लखनउ विश्व विद्यालय प्रो.विभूति राय
बताया कि मेरे नेतृत्व में 30 सदस्यो वाली टीम शुक्रवार को ओबरा पहुंची है।हम लोग शनिवार को नेवारी में जिस पहाड़ी का अध्ययन किए है उसमे जो पोटास युक्त पत्थर है वह एक अरब 70 करोड़ वर्ष पुरानी है जो यहां समुद्र होने को प्रमाणित करती है। भभिष्य में अध्ययन से और राज खोल सकते है।