Dsandesh:- बिजली कर्मियों ने आगामी आंदोलन एवं जन जागरण रैली को सफल बनाने हेतु बनाई रणनीति,निजीकरण के विरोध में करेंगे हड़ताल..
मा.ऊर्जा मंत्री के साथ 03 दिसम्बर, 2022 को हुए समझौते के क्रियान्वयन हेतु एवं निजीकरण के विरोध में बिजली कर्मी 16 मार्च की रात से 72 घण्टे की हड़ताल करेंगे..
सोनभद्र/अनपरा।विद्युत कर्मचारी संघर्ष समिति,उ०प्र० के आह्वान पर अनपरा के नव निर्वाचित संयोजक इं०अभिषेक बरनवाल ने अनपरा तापीय परियोजना के सभी संगठनों के पदाधिकारियों के साथ बैठक कर आगामी आंदोलन को सफल बनाने की रणनीति पर विस्तृत रूप से विचार विमर्श किया। सभी संगठन के पदाधिकारियों ने उपस्थित होकर आंदोलन को सफल बनाने हेतु अपने विचार प्रकट किए।
बताते चले की आंदोलन कार्यक्रम की सूबे के ऊर्जा मंत्री से 03 दिसंबर 2022 को विद्युत कर्मचारी संघर्ष समिति के साथ हुई वार्ता में विभिन्न मुद्दों पर सकारात्मक सहमतियां बनी थी। परंतु प्रदेश के समस्त ऊर्जा निगमों के अध्यक्ष के स्वेच्छाचारी एवं मनमानी रवैए के कारण एक भी सहमतियों पर आज तक किसी प्रकार का क्रियान्यवन नही हो सका है, जिससे सभी विद्युत कर्मी अपने आप को पीड़ित महसूस कर रहा है।
साथ ही उत्पादन निगम और पारेषण में बड़े पैमाने पर निजीकरण का निर्णय लिये जाने के विरोध में हड़ताल की तैयारी तेज करने का निर्णय लिया गया। सह संयोजक इं० सत्यम यादव ने बताया कि उक्त आंदोलन कार्यक्रम को सफल बनाने हेतु विद्युत कर्मचारी संघर्ष समिति के केंद्रीय नेतृत्व के द्वारा पूरे प्रदेश में क्रमवार जन जागरण रैली कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है, जिसके तारतम्य में केंद्रीय नेतृत्व की भ्रमण टोली 04 मार्च को अनपरा तापीय परियोजना पर आ रही है।तथा आगामी 16 मार्च से होने जा रहे 72 घण्टे की सांकेतिक हड़ताल के पहले 14 मार्च को राजधानी लखनऊ सहित समस्त जनपद/परियोजना मुख्यालयों पर शान्तिपूर्वक मशाल जुलूस निकाले जायेंगे।
संघर्ष समिति की मुख्य मांग यह है कि 03 दिसम्बर के समझौते का क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जाये, ओबरा व अनपरा में स्थापित की जा रही 800 मेगावाट की नई बिजली परियोजनायें उत्पादन निगम को दी जायें, पारेषण के नये बनने वाले सभी विद्युत उपकेन्द्रों एवं लाइनों का कार्य यूपी पावर ट्रांस्को को दिया जाय, वर्ष 2000 के बाद में सभी बिजली कर्मियों के लिए पुरानी पेंशन की व्यवस्था लागू की जाये और बिजली निगमों का एकीकरण कर यूपीएसईबी लि का गठन किया जाये।
संघर्ष समिति द्वारा ऊर्जा निगमों के चेयरमैन को प्रषित नोटिस में कहा गया है कि विगत 03 दिसम्बर को ऊर्जा मंत्री, उप्र सरकार एवं मुख्यमंत्री, उप्र सरकार के सलाहकार श्री अवनीश अवस्थी के साथ हुए लिखित समझौते के प्रति ऊर्जा निगमों के शीर्ष प्रबन्धन के नकारात्मक रवैये और उत्पादन निगम तथा पारेषण में बड़े पैमाने पर निजीकरण किये जाने के फैसले से बिजली कर्मियों में भारी रोष व्याप्त है। यह विदित हुआ है कि ओबरा एवं अनपरा में 800-800 मेगावाट क्षमता की दो-दो इकाईयों को स्थापित करने का एमओयू मेसर्स एनटीपीसी के साथ किया गया है। इस हेतु ओबरा में 500 एकड़ क्षेत्र में कालोनी गिरायी जायेगी। यह दोनों परियोजनायें उप्र राज्य विद्युत उत्पादन निगम की परियोजनायें हैं। इस प्रकार एन.टी.पी.सी. लि. को ओबरा व अनपरा परिसर में नई परियोजनायें देना सीधे-सीधे उत्पादन निगम का निजीकरण है जो विगत कई समझौतों का खुला उल्लंघन है। इसी प्रकार पारेषण में 200 केवी एवं उच्च विभव के सभी विद्युत उपकेन्द्रों एवं लाइनों का कार्य निजी क्षेत्र को देने की प्रक्रिया चल रही है।संघर्ष समिति की नोटिस में कहा गया है कि शक्तिभवन मुख्यालय में कार्यरत बिजली कर्मचारियों एवं निविदा/संविदा कर्मचारियों को परेशान करने हेतु करोड़ों रूपये का अपव्यय कर फेस रिकगनिशन प्रणाली लगायी जा रही है। नियमित पदों पर नियमित भर्ती करते हुए निविदा/संविदा कर्मचारियों को तेलंगाना, राजस्थान आदि प्रान्तों की तरह नियमित किया जाये। नियमित होने तक 03 दिसम्बर के समझौते के अनुसार विभिन्न ऊर्जा निगमों में कार्यरत निविदा/संविदा कर्मचारियों को समान पद पर समान मानदेय दिया जाये।संघर्ष समिति की बैठक में अभिषेक बरनवाल,अदालत वर्मा,रविकांत यादव, ऋषिकांत त्रिपाठी,राजकुमार सिंह,पियूष, अनूप वर्मा,आशुतोष द्विवेदी, सत्यम यादव, विशंभर सिंह,रविन्द्र जायसवाल, विवेक सिंह,अभिषेक सिंह,राजकुमार सिंह,मनोज सिंह,श्याम सुंदर,रामकिशुन सिंह,ओमब्रत सिंह, योगेंद्र मिश्र, अंशु चक्रवर्ती,राजीव यादव,विपेंद्र सिंह, विशाल जायसवाल,प्रशांत उपाध्याय, आशीष श्रीवास्तव,रविन्द्र जायसवाल, देवेंद्र, शैलेंद्र सिंह आदि उपस्थित थे।